जैसे कि दम घुटता है, तुम क्या जानो, मिल के बिछड़ना, बिछड़ के मिलने को कैसे दिल तड़पता है, पहले तो मुलाकात नहीं होती, नज़र मिलती है बात नहीं होती, दिन में आंखें पथरा जातीं हैं, रातें लम्बी हो जाती हैं, ना जाने कैसे सुहाना दिन आता है, आखिर वो मिल ही जाता है, चार मुलाकातें हो नहीं पाती, आंखें प्यास बुझा नहीं पाती, ना जाने क्या हो जाता है, जो मिला ही नहीं फिर खो जाता है, चलते चलते सांसे रुकती हैं, हर दम जैसे दम घुटता है। ©Harvinder Ahuja #चलतेचलते रूकती सांसे