Nojoto: Largest Storytelling Platform

"यहाँ सब कुशल है आशा करता हूं वहा भी सब कुशल होगा"

"यहाँ सब कुशल है आशा करता हूं वहा भी सब कुशल होगा".. "बड़ों को प्रणाम, छोटो को आशीर्वाद"। 
इन्हीं शब्दों से शुरुआत होने वाले पत्रों में लोग उकेर देते थे अपने एहसास.. और उन एहसासों को व्यक्त 
करने के लिए भी मुहल्ले के पढ़ाकू लगाए जाते थे.. एक पत्र में महीनों की कहानियां, घर, गृहस्थी सब
 पर विस्तार से चर्चा होती थी। कभी तार आ जाये तो सब ऐसे व्यग्र हो जाते जैसे किसी सुनामी आने 
की आहट हो.. दौर बदला तो एहसासों को कहने, सुनने, समझने का तरीका भी बदल गया.. हाँ एक 
प्रमुख बात यह भी जो पत्र पढ़ लेता वो विद्यार्थी उस समय अपने पढ़ाई के लिए भी मुहल्ले में 
जाना जाता था.. तो क्या आप बता सकते हैं आखिरी बार आपने कब पत्र लिखा था?🤔

©पूर्वार्थ
  #खत