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ये हमदर्दीयाँ ज़ब हमारे जज्बातो की देहरी लाँघ कर हम

ये हमदर्दीयाँ ज़ब हमारे जज्बातो की
देहरी लाँघ कर हमारे कंधो को
सहलाने लगती हैँ  तों  हमेँ  सुकून का
गहरा  अहसास होने लगता हैँ
लेकिन कई बार देखा गया हैँ कि
ये हमदर्दीयाँ  कभी कभी प्रतिकुल. परिंणाम भी  देने लगती हैँ
जैसे किसीके  जलते हुएघर .को  बचाने. की.
हमारी  अच्छी  सोच .भी हमेँ  झूलसाने का
अंजाम बन सकती हैँ

©Parasram Arora हमदर्दी....
ये हमदर्दीयाँ ज़ब हमारे जज्बातो की
देहरी लाँघ कर हमारे कंधो को
सहलाने लगती हैँ  तों  हमेँ  सुकून का
गहरा  अहसास होने लगता हैँ
लेकिन कई बार देखा गया हैँ कि
ये हमदर्दीयाँ  कभी कभी प्रतिकुल. परिंणाम भी  देने लगती हैँ
जैसे किसीके  जलते हुएघर .को  बचाने. की.
हमारी  अच्छी  सोच .भी हमेँ  झूलसाने का
अंजाम बन सकती हैँ

©Parasram Arora हमदर्दी....

हमदर्दी.... #कविता