मुरली मोहन को तरसे मोहन राधा को तरसे लगी आस कब रास आये लगी प्रीत बन प्रेम बरसे ©कृष्ण प्रेमी कुलदीप मुरली मोहन को तरसे मोहन राधा को तरसे लगी आस कब रास आये लगी प्रीत बन प्रेम बरसे