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मैं इधर हूँ या उधर हूँ क्या पता। मैं हक़ीक़त

मैं  इधर हूँ  या  उधर  हूँ  क्या  पता।
मैं हक़ीक़त में  किधर  हूँ क्या  पता।
तय नहीं  कर  पा  रहा अपनी जगह-
राह-ए-मंज़िल या सफ़र हूँ क्या पता।

मैं  समंदर या  नहर  हूँ  क्या पता।
शांत जल हूँ या लहर हूँ क्या पता।
कशमकश में हूँ  ज़रा अपने लिए-
कारगर  या बेअसर  हूँ क्या  पता।

शाम  हूँ  या  मैं  सहर  हूँ  क्या  पता।
पात  हूँ  या  मैं  शजर  हूँ  क्या पता।
मेरे  संग  जो  हो  रहा  उससे  अभी-
बेख़बर  या  बाख़बर  हूँ  क्या  पता।

शून्य हूँ या मैं शिखर हूँ क्या पता।
कामयाबी  की  डगर हूँ क्या पता।
एक दिलकश खुशनुमा आग़ाज़ हूँ-
या  बुरा  कोई  हशर हूँ क्या पता।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #क्या_पता
मैं  इधर हूँ  या  उधर  हूँ  क्या  पता।
मैं हक़ीक़त में  किधर  हूँ क्या  पता।
तय नहीं  कर  पा  रहा अपनी जगह-
राह-ए-मंज़िल या सफ़र हूँ क्या पता।

मैं  समंदर या  नहर  हूँ  क्या पता।
शांत जल हूँ या लहर हूँ क्या पता।
कशमकश में हूँ  ज़रा अपने लिए-
कारगर  या बेअसर  हूँ क्या  पता।

शाम  हूँ  या  मैं  सहर  हूँ  क्या  पता।
पात  हूँ  या  मैं  शजर  हूँ  क्या पता।
मेरे  संग  जो  हो  रहा  उससे  अभी-
बेख़बर  या  बाख़बर  हूँ  क्या  पता।

शून्य हूँ या मैं शिखर हूँ क्या पता।
कामयाबी  की  डगर हूँ क्या पता।
एक दिलकश खुशनुमा आग़ाज़ हूँ-
या  बुरा  कोई  हशर हूँ क्या पता।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #क्या_पता