Nojoto: Largest Storytelling Platform

" तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो , मयस्सर मे

" तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो ,
मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है ,
सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे ,
मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . "

                            --- रबिन्द्र राम " तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो ,
मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है ,
सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे ,
मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . "

                            --- रबिन्द्र राम 

#तड़प #अंदाजा
" तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो ,
मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है ,
सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे ,
मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . "

                            --- रबिन्द्र राम " तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो ,
मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है ,
सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे ,
मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . "

                            --- रबिन्द्र राम 

#तड़प #अंदाजा