" तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो , मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है , सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे , मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . " --- रबिन्द्र राम " तड़प उठे हैं कि उसे भी कुछ अंदाजा हो , मयस्सर मे जाने कब से वो उदास है , सुबह हो ने दे तुझे शाम लिखेंगे , मुहब्बत हर ख़त तेरे नाम लिखेंगे . " --- रबिन्द्र राम #तड़प #अंदाजा