"हाँ, मैं विशेष हूँ,," न मैं प्रथम की गिनती में हूँ, न द्वितीय की गिनती में, हूँ क्योकि मैं तो 'अद्वितीय' हूँ, 'नदी' नहीं मैं तो बस! 'एक बूँद जल" की हूँ जो 'प्यासें समन्दर' के लिए अमृत-धारा की 'बूँद' हूँ, मैं तो बस! सबके लिए "विशेष"हूँ हाँ! "मैं विशेष हूँ,,,;;;" गीता शर्मा 'प्रणय" हाँ मै विशेष हूँ #