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रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दुनिया भर के मर

रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दुनिया भर के मरहम लगाए हैं हमने,  ज़ख्म फिर भी साफ ना हुए..

साजिशें थी उसकी नाराजगी मैं कुछ,  वरना क्यों हम बेगुनाह होते हुए भी माफ ना हुए
दूरियों से नहीं मिटा करते इश्क के कलाम, वो आज भी मोजूद है मुझमें, क्या फर्क पड़ता है कि अब वो हमारे पास ना रहे..

साहेब हमारी हर ग़ज़ल में तो जिक्र आज भी उनका ही है
यह तो अलग बात है कि अब हम उनके खास ना रहेऔ..

रोज रोज मिटते हैं, फिर भी हम ख़ाक न हुए #Nojoto #Life #Shayari #Khani #Kala #Sangeet #Love
रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए दुनिया भर के मरहम लगाए हैं हमने,  ज़ख्म फिर भी साफ ना हुए..

साजिशें थी उसकी नाराजगी मैं कुछ,  वरना क्यों हम बेगुनाह होते हुए भी माफ ना हुए
दूरियों से नहीं मिटा करते इश्क के कलाम, वो आज भी मोजूद है मुझमें, क्या फर्क पड़ता है कि अब वो हमारे पास ना रहे..

साहेब हमारी हर ग़ज़ल में तो जिक्र आज भी उनका ही है
यह तो अलग बात है कि अब हम उनके खास ना रहेऔ..

रोज रोज मिटते हैं, फिर भी हम ख़ाक न हुए #Nojoto #Life #Shayari #Khani #Kala #Sangeet #Love