" मिलो ज़रा चाय - काफी के बहाने , यूं मुहब्बत बेज़ारी में समझ नहीं आती , मिला करो ज़रा तुम किसी ना किसी बहाने , यूं मुहब्बत के कसीदे दुरियों से समझ नहीं आती ." --- रबिन्द्र राम " मिलो ज़रा चाय - काफी के बहाने , यूं मुलाकात बेज़ारी में समझ नहीं आती, मिला करो ज़रा तुम किसी ना किसी बहाने , यूं मुहब्बत के कसीदे दुरियों से समझ नहीं आती . " --- रबिन्द्र राम #चाय #काफी#मुलाकात #बेज़ारी