तेरी आंखो में काजल बन रहना चाहूंगा, तेरी यादों के दरिया में बहना चाहूंगा, जब भी वक़्त हो मिल लेना मुझसे आकर तुम, फुरसत से दिल की बातें कहना चाहूंगा गम तेरे हसते हसते सहना चाहूंगा, तेरी गोद में सिर रख के सोना चाहूंगा, बोहोत छुपाया जज्बातों को तुम से, एक एक करके सारी बाते कहना चाहूंगा। sk मिश्रा (स्वरचित) कुछ कहना चाहूंगा... (In this poem I tried to write the feelings of a lover (boy) to his partner with whom he has not shared his feelings yet.)