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यूँ तो कहने को तो ज़माने भर की भीड़ जमा है शहर में

यूँ तो कहने को तो ज़माने भर की भीड़ जमा है शहर में तेरे,
ए बेख़बर
मगर साथ चलने को एक परछाईं के सिवा कोई नहीं है पास मेरे।। #29
यूँ तो कहने को तो ज़माने भर की भीड़ जमा है शहर में तेरे,
ए बेख़बर
मगर साथ चलने को एक परछाईं के सिवा कोई नहीं है पास मेरे।। #29