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आदमी जब आदमी होने लगे दर्द का रिश्ता जब जिन्द

आदमी  जब  आदमी  होने लगे 
दर्द का रिश्ता  जब जिन्दगी  से  होने लगे 
प्यार  की सौगात  जब बंटने  लगे  
 अजनबी  भी जब  अपना  लगने लगे 
धुएँ  क़े बदल  छंटे  और  रौशनी  होने लगे 
तब  समझो  आदमी  सन्मार्ग     पा चुका हैं 

पर हमदर्दियो की जब  कमी  होने   लगे 
तो समझो  मानवता  का पतन  होने  लगा हैँ मानवता  और सन्मार्ग  पथ
आदमी  जब  आदमी  होने लगे 
दर्द का रिश्ता  जब जिन्दगी  से  होने लगे 
प्यार  की सौगात  जब बंटने  लगे  
 अजनबी  भी जब  अपना  लगने लगे 
धुएँ  क़े बदल  छंटे  और  रौशनी  होने लगे 
तब  समझो  आदमी  सन्मार्ग     पा चुका हैं 

पर हमदर्दियो की जब  कमी  होने   लगे 
तो समझो  मानवता  का पतन  होने  लगा हैँ मानवता  और सन्मार्ग  पथ