आस्था पर फिर गहरी चोट कर दी, इस बार तो तुमने हद ही पार कर दी, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की छवि को अमर्यादित भाषा से भर दी,,, कैसे संवाद है केसा ये चित्रण किया? आस्था का हमारी चिर हरण किया ! हास्य के पात्र बना डाले सारे भावी- पीढ़ी पूजेगी ना इन्हे ऐसा वर्णन किया,, आधुनिकता की अंधी दौड़ केसी दिखी , आस्था मलीन करने की होड़ केसी दिखी, मर्यादा में रहते थे वन पाया त्याग को, सीता माँ वन में मर्यादा छोड़ केसी दिखी,, ना परिधान तुमने सही दिखलाया है, ना संस्कारो को उनमे तुमने रमाया है, रावण भी आज़ तुम पर क्रोधीत होगा, ये केसा पात्र तुमने मेरा बतलाया है,, षड़यंत्र लगता आस्था मलीन करने का, सनातन संस्कृति छिन्न भिन्न करने का, संवाद ऐसे लिखें दोष लगेगा कलमकारों का, तुम पर उन्हें सरस्वती विहीन करने का,, क्या कहु उन्हें जो फुहड़ता के समर्थक है, इन्हे समझाना जीवन अपना निरर्थक है, इन्हे ना धर्म का ज्ञान,ना धर्म कर्म से वास्ता है, लोभ में इशारो पर नाचने वाले ये नर्तक है, मर्यादा के बाँध को अब ना तोड़ो तुम, तूफानी सागर में प्रेम का सेतु जोड़ो तुम, कलम को चलाओ ऐसे किरदार गढ़ो ऐसे , पूजे तुम्हें सर्वत्र ,आस्था पर चोट करना छोडो तुम,, जिस दिन सब्र का बांध गर टूट गया, उस दिन ये काला साम्राज्य डूब गया, सनातन सूर्य का तेज फिर सह ना पाओगे, जिस दिन पूर्ण शक्ति से जो ये उग गया,, स्मरण रहे सनातन से छेड़ छाड़ में बहुत पछताओगे.. . . . ✍️नितिन कुवादे.... ©Nitin Kuvade #adipurush