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nitinkuvade7216
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Nitin Kuvade

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Nitin Kuvade

Jai shree ram मंगल गान खुशियों भरे  हमनें गाये,
रघुवर अयोध्या  वापस लोट  आये,
धर्म ध्वजा भी गगन मे  लहरा  रही,
स्वागत मे दीप द्वार द्वार रहे जलाये,,

प्रभात फेरि हर्षोल्लास से निकाली,
सूर्य की  नित  देखी  मनोरम लाली,
श्री राम की धुन मे पेर स्वतः थिरके
झूम उठी पत्ती  पत्ती  डाली  डाली ,,

नगर नगर द्वार द्वारसजा दिए सारे,
रंगोली  मे  भक्ति  रंग  गहरे उतारे,
कण   कण  यहाँ  राम  राम  बोले,
ह्रदय  मे    उतरे    सरयू   के  धारे,,

पुण्य  धरा    पर     उतरा   स्वर्ग है,
दारुण     भावो     का    उत्सर्ग  है,
देवताओ नें यहाँ चरण धरे, महायज्ञ 
मे आहुति का जोडा उन्होंने प्रसंग है,,

क्षमा प्रार्थी   है  राघव  हम  आपसे,
मुक्त ना  हो  पा  रहे  हम  संताप से,
ह्रदय  व्यथित है जल्द  मुक्त ना कर-
पाये  आपको  वनवास  के श्राप से,,

बलिदानियों     के     बलिदानो  से,
पत्थर पत्थर रज रज के प्रमाणो से,
सुंदर महल बनाया है राघव, रावण
पराजित हुए यहा तर्क के बाणो से,,

मिला जो शोभाग्य   कर  दिखाया,
भाग्य   अपना    ऐसा  लिखवाया,
सनातनी वैभव को कर्तव्यनिष्ठ हो
हमने शीलाओ  पे  भव्य  सजाया,,

अलौकिक छटा लिए वो  छण  हुए,
शंख,नगाड़े, घंटीयो के जो स्वर हुए,
दर्शन दिए जब रघुवर नें  महल  मे,
भाग्यशाली समझ भाव विभोर हुए,,

राम    लला   लगे  है  कितने   प्यारे,
स्नेह  बरसाते  नेनो  से  हमें   निहारे,
मुरत से  नजर  हट हीं ना  पाये,  बड़े
मनमोहक लगे दशरथ के राजदुलारे,,,

✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade #JaiShreeRam
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Nitin Kuvade

Shree Ram भगवा लहरा  रहा  है,
हर मन ये गा  रहा  है,
पथ  फूलो    से  सजे,
अवध अब भा रहा है,,

नगर की रौनक प्यारी,
दीपोत्सव की  तैयारी,
राग अनुराग छा  रहा,
आ रहे  अवध बिहारी,,

शोभाग्यशाली है  हम,
राम जी के पड़े कदम,
वर्षो की तपस्या  पूर्ण,
खुशियों से ऑंखें नम,,

गीत कोई लिखू नया,
ख़ुशी को  करू  बया,
उत्सव की  रौनक  है,
अंधेरा जीवन से गया,,

कौशल्या के आंचल मे,
सुमित्रा  के  काजल मे,
कैकयी से सज के राम
निहारे सरयू के जल मे,,

शुभ  सगुन  आये  सारे,
देवता भी आरती उतारे,
महलो मे आ  कर  राम,
लग  रहे   कितने  प्यारे,,
✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade #shreeram
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Nitin Kuvade

Shree Ram भगवा लहरा  रहा  है,
हर मन ये गा  रहा  है,
पथ  फूलो    से  सजे,
अवध अब भा रहा है,,

नगर की रौनक प्यारी,
दीपोत्सव की  तैयारी,
राग अनुराग छा  रहा,
आ रहे  अवध बिहारी,,

शोभाग्यशाली है  हम,
राम जी के पड़े कदम,
वर्षो की तपस्या  पूर्ण,
खुशियों से ऑंखें नम,,

गीत कोई लिखू नया,
ख़ुशी को  करू  बया,
उत्सव की  रौनक  है,
अंधेरा जीवन से गया,,

कौशल्या के अंचल मे,
सुमित्रा  के काजल मे,
कैकयी से सज के राम
निहारे सरयू के जल मे,,

शुभ  सगुन  आये  सारे,
देवता भी आरती उतारे,
महलो मे आ  कर  राम,
लग  रहे   कितने  प्यारे,,

✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade #shreeram
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Nitin Kuvade

पालना    मे    राम    लला     झूले,
श्री राम के बालक्रीड़ा के पल मिले,
ऐसे    पल    फिर     आ    रहे   है
हम   ऐसी    अयोध्या   पा   रहे  है,,

सरयू  तट   पर खूब   धूम   मचाये,
बाल     लीला       अपनी    रचाये,
नटखट रामलला फिर  रिझा रहे है,
हम   ऐसी    अयोध्या   पा   रहे  है,,

माँ कौशल्या सुमित्रा जाए बलिहारी,
माँ केकई भी गीत गाये  मंगलकारी,,
तीन तीन माताये स्नेह  लूटा रही  है,
हम   ऐसी     अयोध्या   पा   रहें  है,,

माँ  सीता    को    जहा  वर   लाये,
कितने सुनहरे पल उन संग बिताये,
माँ सीता संग  प्रभु  मुस्कुरा  रहे है,,
ऐसी   अयोध्या    हम  पा   रहे  है,,

भरत सा भाई ना मिलें कही  दूजा,
भाई की खड़ाऊ रख जिसने पूजा,
लक्ष्मण  अटूट  साथ  निभा  रहे है,
ऐसी   अयोध्या    हम   पा  रहे  है,

शुरू   हुआ  जहा  दिपो  का  पर्व,
होने  चला   फिर   से     हमे  गर्व,
अगमन  पर   दीप  जला  रहे   है,
ऐसी   अयोध्या   हम   पा   रहे है,,

सुखो  का  सागर  जहा   बह रहा,
कण   कण   श्री  राम  कह   रहा,
राम    राज्य    फिर   ला   रहे  है,
ऐसी  अयोध्या    हम   पा  रहे है,,

माँ सरयू का  मिला  अमृत  गागर,
श्री राम पहुंचे जहा से क्षिर  सागर,,
अमृत गागर फिर  छलका  रहै  है,
ऐसी   अयोध्या    हम  पा  रहे  है,,,

देवता    जहा  पुष्प  बरसा  रहे  है, 
भाग्य  हम  अपना  चमका  रहे  है,
बहुत  राह   देखी   हमने   प्रभु की
रघुवर   अब  अयोध्या  आ  रहे  है,,
श्री राम वाली  अयोध्या पा  रहे  है.....!

✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #Diwali
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Nitin Kuvade

बड़  चले    फिर   से   सनातन    की  और,
राम ही  राम  गूंज  रहा   देखो  चारो   और,
सनातन    की   धर्म   ध्वजा    लहरा   रही,
रोम रोम से राम धुन का सुनाई दे रहा शोर,,

कोई  घंटी   भेजे   कोई   भेजे   अगरबत्ती,
राहो मे बिछने  को  आतुर  है  पत्ती  -पत्ती,,
सज  धज  के  अवध    ख़डी   स्वागत  मे,
राजा राम के दर्श है  सबसे  बड़ी  सम्पत्ति,,

त्रेता के  रावण   से   था   ये  बडा   रावण
ध्वस्त किया  मंदिर  जो  था  बडा   पावन,
दिया  वनवास  दुष्ट  नें  पांच  सदियों  का,
टेंट मे देख  प्रभु  को व्यथित होता था मन,

हनुमान सा बल ले  ध्वस्त  किया  कलंक,
धर्म ध्वजा लहराने का  बजा  दिया  शंख,,
जीत  लंका को  श्री राम  अवध  आ  रहे 
स्वागत मे द्वार  द्वार  दीप  जलें  असंख्य,,

हर्षोल्लास आनंद के पल आने वाले सारे,
पल पल काटना मुश्किल है  कैसे  गुजारें,
माँ सरयू की धारा भी व्याकुल  लगे  बड़ी,
कल कल करती धाराएं कब आरती उतारे?,,

हर्षित है जन -जन,  हर्षित है  कण -कण
गहरे तम के बाद निकली उजली  किरण 
श्रमिक भी अपना जीवन  धन्य मान  रहै,
काज ऐसा किया सदियों तक  रहे स्मरण,,

नव जीवन की अब  शुरुआत  हो  रही है,
सनातन  की   नवीन   प्रभात  हो  रही  है,,
प्राण प्रतिष्ठा का सुखद  आनंदमय  उत्सव,
भाग्योदय मे नव चेतना की बरसात हो रही है,,

✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade #RepublicDay
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Nitin Kuvade

#happyanniversary ❣️😊
नव कल्पनाये... नव रचनाएँ
ले रही आज़ आकार नई....
मिलें तुम जब से हमें कल्पनाये
ये रचनाएँ साकार हो गई....
सुबह की पहली किरण से शाम
की लालिमा तक मुझमे ढले...
तुम्हे देख कदम कैसे थिरके
प्रेम गली मे संग संग चले....
एक राहत, एक मुस्कुराहट
बनकर तुम दील मे चली आई...
हर हसी लम्हे मे तुम्हे ही रखे
खुशियों की बहने लगे पुरवाई....
चलते चलते तुम संग जीवन के
अंतिम छोर तक जाना है...
हर राह हर मोड़ पर साथ
तुम्हारा हर पल मुझे पाना है...
कल्पनाओ को साकार किया
सपनो को आकार दिया....
रंग गए हम तेरे हर एक रंग मे
इतना तुमने हमें प्यार दिया....
हस्ते मुस्कुराते... लड़ते लड़ाते...
छः वर्ष सफलतम पार किये,
वैवाहिक वर्षगांठ की मधुरम बेला
आती रहे जलते रहे प्यार के दिए....
मधुरम बेला रहे सदा सुखदाई,
विवाह वर्षगांठ की बधाई प्रिये.....
✍️❣️🎊🤟🥰🪷

©Nitin Kuvade #VantinesDay
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Nitin Kuvade

हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था तुमने इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम होनें वाली थी किसी की, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक  रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज.... तेरी अंजान डगर, अंजान सफर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा....
✍️नितिन कुवादे....
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©Nitin Kuvade #woshaam
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Nitin Kuvade

हमारे ज़माने में तो हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम हो चुके थे किसी के, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक  रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज....अंजान डगर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा....
✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #ज़माने
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Nitin Kuvade

हा याद आया
कुछ धुंधला धुंधला सा....
कुछ यादे वो बाते
वो समय उजला उजला सा.....
हा किया था इजहार....
गलत वक्त था यार....
तुम हो चुके थे किसी के,
और मै चुप था पगला सा.....
भावनाओ मे बह निकला....
ना जाने क्यों हा कह निकला....
रहने लगा कुछ कुछ बदला सा....
कुछ पल प्रीत के.....कुछ पल गीत के....
हो चुके थे तुम मेरे... लगा
ऐसे जिंदगी आये जीत के.....
मीट गया हो फासला सा....
लबों पर आ रुक जाती...
बाते कहने की चूक जाती....
दील की धड़कन जान ली...
कह ना पाया वो समझ....
खुद ही कह दी अच्छा था....
सामने तेरे मे तो था हकला सा....
प्रेम का फूल था....
खिला और मुरझा गया....
सादगी और महक 
रोम रोम मे बसा गया....
अमृत सा प्रेम तेरा....
प्रीत अमर कर दे ऐसा
हर शाम मुझमे ढला सा....
प्रीत की रीत ना तोड़ू....
किसी और संग कभी नाता ना जोडू....
जिस प्रीत की महक से
महक रहा हो जीवन....
ऐसी महक को कैसे छोडु....
खुशी मे तेरी खुशी खोज,
ख़ुश हु मै देख हर रोज....
अंजान डगर, अंजान दील के
कोने मे खुशियों का अमृत घोल दू....
खुशियों मे खुशी भर दू मै रहू क्यों बला सा.....
कल भी था आज़ भी हु कल भी रहूँगा....
हा वही तेरे प्यार मे पागल
एक लड़का जो रहेगा तेरे लिए पगला सा.......

©Nitin Kuvade #Anger
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Nitin Kuvade

खोल  ह्रदय  द्वार जरा कब से तेरे ह्रदय द्वार  पर  खडे  है,
ह्रदय कोने  मे पा ले थोड़ी जगह  पलकों पे  ख्वाब जडे है,

एक  उमंग  नई,  एक  अहसास    नया  सा   जगनें  लगा 
तूझे पाना  मुमकिन नहीं  ना  जाने  क्यों जिद पर अड़े  है,,

सफर हमसफ़र के बिना  अधूरा सा  अनमना  सा  लगता, 
मंजिल तूझे बना  तेरी चाहत  मे प्रेम  पथ पर आगे बड़े है,,

जन्मो जन्मो के धागे जुड़े हर बार तेरी और  खिचा  आऊ 
तेरे नाम से ही  दील क्यू धड़के यु तो यहाँ  लाखो  मुखड़े है,,

रात  हसी  ख्वाब   देखा   हाथों  मे  हाथ  और  साथ  तुम
ये  सूरज  जल्दी क्यों  निकला  इस  बात पे उससे लड़े है,,

यादो  के  दर्पण  मे  अक्स  तुम्हारा झलके  रह  रह के यु,
हर शब्द तुमसे तुम्ही तक  सिमटा  काव्य  जो  भी  गढ़े है,,

कदम दो कदम के फ़ासले पुरे होते होते अक्सर रह जाते,
अपनों को दोष या भाग्य को मिलते मिलते सदा बिछड़े है,,

होंगी  तुम  जब  भी  मेरे  पास, पल  सारे  होंगे वो  खास,
सवर  जाए ये  जिंदगी, सुधर  जाए  हालात  जो  बिगड़े है,,

भोर  की  लालिमा   आज़  कुछ   कुछ  तुमसी   लग रही,
ठंडी हवा या तुम छू के गुजरी अभी इस उलझन मे पड़े है,,

गागर मे प्यार  का  सागर  मन  बावरा  कैसे  भरने  चला,
खडे है किनारे पर प्रेम अमृत पाने हाथो मे ले कोरे घड़े है,,

महक रहै हम फूलो से  प्यार  अपना महकता चंदन हुआ,
गीत आखरी तेरे नाम लिख दू भाव कलम पर ऐसे चढ़े है,,

एक नई सुबह एक नई शुरुआत की मन मे बैठी ललक है,
खोल  ह्रदय  द्वार जरा कब  से तेरे ह्रदय द्वार पर  खडे  है,,
✍️नितिन कुवादे....

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