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nitinkuvade7216
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Nitin Kuvade

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Nitin Kuvade

तुम्हारे साथ बीते सात साल 
सात रंगों की रंगोली सजाई है,
ये सात साल खुशियों से भरे 
मुख पर मुस्कान  सदा आई है,,
तूम संग बीते सात साल मेरे
सात आसमान की ऊचाई है,
प्रेम समर्पण  अपने पन की
इसमें  सागर  सी  गहराई है,,
सात साल मधुर स्वरो से भरे
अटूट साथ की धुन बजाई है,,
तुम्हारा   साथ  सात रंगों सा,
दुनिया मेरी  रंगीन  बनाई  है,,
सात सुर, सात रंग,सात नभ
सात अजूबों सा अपना प्यार,,
सात पुष्पों की सुगंध से तुमने
जीवन की बगिया महाकाई है,,
सात क्षण सात पल सात दिन,
सात साल मे कई रस्मे निभाई है,
तेरे साथ ने मेरे लिए हर पल ही 
एक प्यार भरी कहानी बनाई है,,
नन्ही मुन्ही  गुड़ियों   संग   सात 
द्विपो सी सुंदर  दुनिया  पाई  है,
जीवन का अर्थ तुम्ही से रहा मेरा,
तुमने मेरी सतरंगी दुनिया बसाई है,,,
सात साल की यात्रा मे प्यार और 
मजबूत हुआ अपना, जाना बहुत-
दूर है, अभी मंजिल कहा पाई है,,,
हर कदम पर साथ युही रहना,
सातवीं वर्षगांठ पर प्रिये तुम्हे बधाई है...!!❣️
✍️नितिन कुवादे.... (कन्नू के पापा 😍 )

©Nitin Kuvade #HappyRoseDay
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Nitin Kuvade

White खुद से खुद का प्रतिशोध है 
खुद से खुद का  विरोध है,,
खुद ही खुद के विकास मे 
बने  जा   रहा  गतिरोध  है,,
कहा जा रहा, क्यों जा रहा 
इस बात का कहा बोध है,,
मेरी पहचान थी एकता की 
वह एकता बनी अब शोध है,,
जिसने जैसा कहा वैसा सुना 
खुद को समझता अबोध है,,
जरा जरा सी बात पर बिगडु 
मुझ पर सवार केसा क्रोध है,,
खुद ही खुद का नुकसान करू 
इसका कहा अब आत्मबोध है,,
खुद से खुद का खत्म करना 
अब  मुझे  तो  प्रतिशोध है,
सफलता बाह फैलाये ख़डी
नव सवेरे का नव प्रबोध है,,
सब को अपना बना चलु 
मन से मन को मिला चलु
खुद से खुद का ये अनुरोध है....
26-11-2024
✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #Free
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Nitin Kuvade

White हर्षित  मन, शीतल  गगन,
शीतलता से भरी  ये पवन,
राग  नया  गुनगुना  रही है,,

खुशियों का समा, मन रमा,
तपन से मुक्ति, शीत  थमा,
शरद ऋतू  केसी आ रही है,,,

अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै,
सब नैन मिलाये अम्बर से,
शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,,

कृष्ण का  रास, आज़ रात,
गोपिया जोहे आज़ की बाट,
गोपिया कृष्ण को पा रही है,,,

सोलह कला, शशि ले चला,
इठला जग निहारे चन्द्रकला,,
सोलह कला जग पे छा रही है,,,

चहके चकोर, मन में उठा शोर,
चांदनी बरसे आज रात घनघोर,
चांदनी चकोर को लुभा रही है,,,

सौंदर्य  प्रतीक,  प्रेम पथिक,
आभा  है  ऐसी  अलौकिक,
कलम  मेरी  रचना  रचा  रही है,,,

शीतमय  जग, शीतलता रग रग,
श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग,
शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,,

✍️नितिन कुवादे..

©Nitin Kuvade #Moon
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Nitin Kuvade

"शुभ जन्मदिन मेरी बिटिया..."🥰

तू फूल है मेरी बगिया का
इसको सदा महकाये रखना...
तू रौनक है मेरे आँगन की
इसको सदा बनाये रखना...
तू निराशा मे आशा की एक लो,
इसको सदा जलाये रखना...
तू उड़ान है मेरे सपनो की,,
इसे सदा तू ऊंचा उड़ाये रखना...
तू सावन है मेरे खुशियों का,,
इसे सदा तू बरसाए रखना...
हस्ता खिलता मुखड़ा तेरा प्यारा,
इसे ऐसे ही खिलखिलाये रखना...
बाधाएं आये आ कर चली जाए,
तू खुद को मजबूत बनाये रखना..
तू गीत तू संगीत मेरे मन का..
इसे सदा यु ही गुनगुनाये रखना..
तू दिल तू धड़कन इस तन का,
इसे सदा ही धड़काये रखना....
स्नेह प्यार के शब्द तेरे पर्याय,
इनसे हर नया काव्य रचाये रखना....
तेरे अधरों पर मुस्कान लगे प्यारी
तेरे मन को सदा युही हर्षाये रखना..
जन्मदिन की घड़िया आई प्यारी,
तू इनको सदा ही संजोये रखना...
"कृष्ण" सखी, माधव की भक्ति प्यारी 
है "माधव" राह के काटे हटाए रखना...
पुष्पों सी महके घर आंगन मे,
इसकी राह मे पुष्प बिछाए रखना...
जो खुद भेट है मेरे लिए उसे क्या भेट दू,
तू सदा इसे अपने ह्रदय मे बिठाये रखना...
✍️तुम्हारे पापा 😊

©Nitin Kuvade #Happy_Birthday
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Nitin Kuvade

बड़  चले    फिर   से   सनातन    की  और,
राम ही  राम  गूंज  रहा   देखो  चारो   और,
सनातन    की   धर्म   ध्वजा    लहरा   रही,
रोम रोम से राम धुन का सुनाई दे रहा शोर,,

कोई  घंटी   भेजे   कोई   भेजे   अगरबत्ती,
राहो मे बिछने  को  आतुर  है  पत्ती  -पत्ती,,
सज  धज  के  अवध    ख़डी   स्वागत  मे,
राजा राम के दर्श है  सबसे  बड़ी  सम्पत्ति,,

त्रेता के  रावण   से   था   ये  बडा   रावण
ध्वस्त किया  मंदिर  जो  था  बडा   पावन,
दिया  वनवास  दुष्ट  नें  पांच  सदियों  का,
टेंट मे देख  प्रभु  को व्यथित होता था मन,

हनुमान सा बल ले  ध्वस्त  किया  कलंक,
धर्म ध्वजा लहराने का  बजा  दिया  शंख,,
जीत  लंका को  श्री राम  अवध  आ  रहे 
स्वागत मे द्वार  द्वार  दीप  जलें  असंख्य,,

हर्षोल्लास आनंद के पल आने वाले सारे,
पल पल काटना मुश्किल है  कैसे  गुजारें,
माँ सरयू की धारा भी व्याकुल  लगे  बड़ी,
कल कल करती धाराएं कब आरती उतारे?,,

हर्षित है जन -जन,  हर्षित है  कण -कण
गहरे तम के बाद निकली उजली  किरण 
श्रमिक भी अपना जीवन  धन्य मान  रहै,
काज ऐसा किया सदियों तक  रहे स्मरण,,

नव जीवन की अब  शुरुआत  हो  रही है,
सनातन  की   नवीन   प्रभात  हो  रही  है,,
प्राण प्रतिष्ठा का सुखद  आनंदमय  उत्सव,
भाग्योदय मे नव चेतना की बरसात हो रही है,,

✍️नितिन कुवादे...

©Nitin Kuvade #RepublicDay
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Nitin Kuvade

हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था तुमने इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम होनें वाली थी किसी की, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक  रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज.... तेरी अंजान डगर, अंजान सफर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा....
✍️नितिन कुवादे....
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©Nitin Kuvade #woshaam
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Nitin Kuvade

हमारे ज़माने में तो हा याद आया कुछ धुंधला धुंधला सा.... कुछ यादे वो बाते वो समय उजला उजला सा..... हा किया था इजहार.... दे दिया बाहो का हार.... वक्त की रेत से फिसल तुम हो चुके थे किसी के, और मै चुप था पगला सा..... भावनाओ मे बह निकला.... ना जाने क्यों हा कह निकला....रहने लगा कुछ कुछ बदला सा.... कुछ पल प्रीत के..... कुछ पल गीत के.... हो चुके थे तुम मेरे... लगा ऐसे जिंदगी आये जीत के.....मीट गया हो फासला सा.... लबों पर आ रुक जाती... बाते कहने की चूक जाती.... दील की धड़कन जान ली... कह ना पाया वो समझ.... खुद ही कह दी अच्छा था.... सामने तेरे मे तो था हकला सा.... प्रेम का फूल था....खिला और मुरझा गया.... सादगी और महक  रोम रोम मे बसा गया.... अमृत सा प्रेम तेरा.... प्रीत अमर कर दे ऐसा हर शाम मुझमे ढला सा.... प्रीत की रीत ना तोड़ू.... किसी और संग कभी नाता ना जोडू.... जिस प्रीत की महक से महक रहा हो जीवन.... ऐसी महक को कैसे छोडु.... खुशी मे तेरी खुशी खोज, ख़ुश हु मै देख हर रोज....अंजान डगर, अंजान दील के कोने मे खुशियों का अमृत रस घोल दू.... खुशियों मे खुशी भर चल पडू मै रहू क्यों बला सा.....राधा कृष्ण सा प्यार रहे अपना रंग जिसका सावला सा.... तेरे ख्याल, तेरी बातो मे तेरी यादो मे खोया रहू,इंतजार रहे हर लम्हे मे... यु बन बैठा बावला सा....
✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #ज़माने
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Nitin Kuvade

खोल  ह्रदय  द्वार जरा कब से तेरे ह्रदय द्वार  पर  खडे  है,
ह्रदय कोने  मे पा ले थोड़ी जगह  पलकों पे  ख्वाब जडे है,

एक  उमंग  नई,  एक  अहसास    नया  सा   जगनें  लगा 
तूझे पाना  मुमकिन नहीं  ना  जाने  क्यों जिद पर अड़े  है,,

सफर हमसफ़र के बिना  अधूरा सा  अनमना  सा  लगता, 
मंजिल तूझे बना  तेरी चाहत  मे प्रेम  पथ पर आगे बड़े है,,

जन्मो जन्मो के धागे जुड़े हर बार तेरी और  खिचा  आऊ 
तेरे नाम से ही  दील क्यू धड़के यु तो यहाँ  लाखो  मुखड़े है,,

रात  हसी  ख्वाब   देखा   हाथों  मे  हाथ  और  साथ  तुम
ये  सूरज  जल्दी क्यों  निकला  इस  बात पे उससे लड़े है,,

यादो  के  दर्पण  मे  अक्स  तुम्हारा झलके  रह  रह के यु,
हर शब्द तुमसे तुम्ही तक  सिमटा  काव्य  जो  भी  गढ़े है,,

कदम दो कदम के फ़ासले पुरे होते होते अक्सर रह जाते,
अपनों को दोष या भाग्य को मिलते मिलते सदा बिछड़े है,,

होंगी  तुम  जब  भी  मेरे  पास, पल  सारे  होंगे वो  खास,
सवर  जाए ये  जिंदगी, सुधर  जाए  हालात  जो  बिगड़े है,,

भोर  की  लालिमा   आज़  कुछ   कुछ  तुमसी   लग रही,
ठंडी हवा या तुम छू के गुजरी अभी इस उलझन मे पड़े है,,

गागर मे प्यार  का  सागर  मन  बावरा  कैसे  भरने  चला,
खडे है किनारे पर प्रेम अमृत पाने हाथो मे ले कोरे घड़े है,,

महक रहै हम फूलो से  प्यार  अपना महकता चंदन हुआ,
गीत आखरी तेरे नाम लिख दू भाव कलम पर ऐसे चढ़े है,,

एक नई सुबह एक नई शुरुआत की मन मे बैठी ललक है,
खोल  ह्रदय  द्वार जरा कब  से तेरे ह्रदय द्वार पर  खडे  है,,
✍️नितिन कुवादे....

©Nitin Kuvade #GateLight
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Nitin Kuvade

भोर हुई "मिष्ठि" ने आँखे खोली...
नन्हे नन्हे हाथो से इशारो मे बोली....
ये भोर बड़ी ही मस्त है पापा....
चलो छत पर करे  हसी  ठिटोली....
चिड़िया करें चि चि चि चि,
भोर की किरणे प्यारी बिछी...
ऐसा लगे गुनगुनाती धुप मे
सूरज दादू ने मिठास घोली...
कभी छिपे , कभी निकले...
बादलो की ओट मे हमसे खेले...
पर्वत से सागर तक कर रहा
केसी ये आँख मिचोली....
बिल्कुल मुझसा हस्ता है
मुझसा ही तो मुस्कुराता है...
इधर उधर घूमता भोला सा...
भाये इसकी सतरंगी रंगोली....
इसकी बड़ बड़ मीठी सी,
बाते इसकी नासमझी सी..
समझ मे कुछ ना आये...
फिर भी प्यारी लगे इसकी बोली....
मासूम इशारे मे आ गए छट पर...
नजरें घुमाये केसी इधर उधर... 
उधम मचाये शोर करे, डाटने
पर मुस्कुरा दे है इतनी भोली...
आठखेलीयों से मन हर्षित है.....
गोद मे झूमें मन पुलकित है...
नन्हे नन्हे हाथ इसके नन्ही सी ये...
जीवन मे खुशियों की राहे खोली....
✍️नितिन कुवादे....
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©Nitin Kuvade #HappyDaughtersDay2020
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Nitin Kuvade

प्रिय सखा अजय...
आज़ आया फिर वो दिन है...
जिसकी प्रतीक्षा पल पल रहती....
मन मे भावनाओं की इस दिन
कल कल करती धारा बहती....
चुलबुले तुम शैतान हो बड़े...
शरारत करने को तुमसे जी करे....
हर लम्हे मे पास हु सदा तुम्हारे...
देख लेना मन के दर्पण मे ज़ब जी करे....
मन करता है तुम्हे मोर पंख सा
अपने माथे पर सजाउ...
मधुर हो बड़े तुम मुरली सा तुम्हे
अपने ह्रदय मे बसाउ....
कर्म पथ पर चलते चलते
नित कीर्तिमान रचो तुम....
कर्मवान बड़े इस गुण से भगवद
गीता का सार सा बनो तुम....
चेहरे की सौम्यता...मुख की दिव्यता....
कर्म के तेज से प्रकाशित रहो....
प्रिय सखा हर जन्म मे,
मेरे सखा के रूप मे परिभाषित रहो....
सुख -दुःख, सफलता - असफलता
हर पल तुम्हारे अधरों की चर्चा हु..
आनंदित हो उठता हु सखा ये
सोचकर की तुम मेरे सखा हो....
जन्मदिन पर आशीष
खुशियाँ तुम्हारे जीवन मे रास करे...
हर क्षेत्र मे सफलता पाओ..
शिक्षा के क्षेत्र मे रहो सदा प्रकाशित
माँ सरस्वती का ह्रदय मे वास रहे...
दही माखन मिश्री से प्रिय हो...
मेरे ह्रदय मे धड़कन से सक्रिय हो...
जन्मदिन पर दू मिश्री माखन सा
असीम स्नेह और प्यार...
उपहारो मे यही जमा दूजा ना कोई उपहार....
तुम्हारा सखा माधव....

©Nitin Kuvade #DearKanha
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