अभी ना समेट मुझे, अभी और बिखरना है। सारे ज़ख्म एक बार में ही दे मुझे आ मिल, फ़िर एक साथ मुझे सम्हलना भी है। ©आयुष्मान रेग्मी A A Z A D P A R I N D A बिखरना/सम्हलना #nojotohindi #poem #aazadparinda #hindipoetry #emotions