गीत *** तपती धरती बादल नभ में बारिश बरसो इस सावन में, हूक उठी है, कल-कल जल से भर दो ये सर दरिया तरसे, तपती धरती बादल नभ में बारिश बरसो इस सावन में | पेड़ पशु विहग व्याकुल सारे रह रह के गर्मी फुफकारे, तुम होके हॕसते हो दुख में बारिश बरसो इस सावन में, तपती धरती बादल नभ में बारिश बरसो इस सावन में | ताक रहे सब नीले नभ को कहते तक, मारे क्यों सबको, भर मेघा तेरे आंचल में बारिश बरसो इस सावन में, तपती धरती बादल नभ में बारिश बरसो इस सावन में | नर ये किस किस को यूॕ पाले पले जब खुद, और को पाले, ग़म सीने में, अश्रु आॕखों में बारिश बरसो इस सावन में, तपती धरती बादल नभ में बारिश बरसो इस सावन में | ~ गोपाल 'साहिल' #glal #geet #barish #geethanjali #hindipoetry #hindigeet #yqbaba #yqdidi