#World_Poetry_Day. यूँ तो में भी तन की सुरभि पर जाने क्या – क्या लिख सकता था, में भी गा सकता था गीत मेघ – मल्हारों के में भी लिख सकता था गीत ग़जल श्रृंगारों के। में भी महकते यौवन की अभिलाषा लिख सकता था, में भी सतरंगी सपनो को गा सकता था शब्दों में, में भी हाथों की मेहँदी और आँखों के काजल पर लिख सकता था। लेकिन मैंने माँ भारती का आँचल हर पल दुखो से भरा देखा है, कितनी ही आँखों का काजल भी मैंने, हर पल आंसू के संग घुलते देखा है। इसलिए, में अपने शब्दों की लावा को आग बनाकर गाता हूँ, इसलिए मैं कविता को अपना हथियार बनाकर गाता हूँ। @#M_Arya #NojotoQuote @#World Poetry Day