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पलट कर रख दें जो तख्त-ओ-ताज वो बवंडर हवा हूं मैं,

पलट कर रख दें जो तख्त-ओ-ताज वो बवंडर हवा हूं मैं,
जनाब हल्के में ना लेना मुझे युवा हूं मैं।

कांपती हैं सियासत भी जिसके हुंकार से,
वो दहाड़ता बेख़ौफ़ शुज़ा हूं मैं।

मत छेड़ मुझे जलकर खाक हो जाएगा,
धधकता आग का शोला हूं मैं।

उखाड़ फेंकूंगा सारी गंदगी शहबतों की,
देश की हर मर्ज का दावा हूं मैं।

गर खौलता हैं खून मेरा सरहदों पर,
तो वो बूढ़े मां-बाप का दुआ हूं मैं।

हैं असीम बाहुबल फिर भी सियासी जंजीरों से घिरा हूं मैं,
ना जाने कैसा युवा हूं मैं, ना जाने कैसा युवा हूं मैं।

©RKant #शुज़ा_सिंह
#शोहबत_समाज
#Dard_Bewajah
पलट कर रख दें जो तख्त-ओ-ताज वो बवंडर हवा हूं मैं,
जनाब हल्के में ना लेना मुझे युवा हूं मैं।

कांपती हैं सियासत भी जिसके हुंकार से,
वो दहाड़ता बेख़ौफ़ शुज़ा हूं मैं।

मत छेड़ मुझे जलकर खाक हो जाएगा,
धधकता आग का शोला हूं मैं।

उखाड़ फेंकूंगा सारी गंदगी शहबतों की,
देश की हर मर्ज का दावा हूं मैं।

गर खौलता हैं खून मेरा सरहदों पर,
तो वो बूढ़े मां-बाप का दुआ हूं मैं।

हैं असीम बाहुबल फिर भी सियासी जंजीरों से घिरा हूं मैं,
ना जाने कैसा युवा हूं मैं, ना जाने कैसा युवा हूं मैं।

©RKant #शुज़ा_सिंह
#शोहबत_समाज
#Dard_Bewajah
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