Nojoto: Largest Storytelling Platform
rkant9296301400916
  • 200Stories
  • 3.7KFollowers
  • 3.1KLove
    7.1KViews

RKant

Shayar of Love

https://instagram.com/shayar_rkant/

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

बहते अश्कों से दुहाई न दें,
हज़ार ज़ख्म दें तन्हाई न दें।

बढ़ा दें सजा मेरे गुनाहों की,
यादों से अपनी रिहाई न दें।

सर्दी बहुत ज्यादा है आज,
बाहों में ले ले रजाई न‌ दें।

बीमार हूं मरज़-ए-इश्क का,
मुझे मर जाने दे दवाई न दें।

ग़म बहुत है मगर लड़के हो,
रोना ऐसे कि सुनाई न दे।

वज़ह-ए-बर्बादी इश्क़ ही है,
मालूम है मुझे ‌सफाई न दे।

©RKant #alone
#SAD 
#Dard_Bewajah
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

एक उम्मीद लिए जी रहा हूं,
एक जिद लिए जी रहा हूं।
सैकड़ों ज़ख्म, हजारों ग़म,
टूटी तक़दीर लिए जी रहा हूं।

एक ख्वाब लिए जी रहा हूं,
सूखा गुलाब लिए जी रहा हूं।
इन बेगुनाह निगाहों में,
इक सैलाब लिए जी रहा हूं।

एक बोझ लिए जी रहा हूं,
हर रोज़ लिए जी रहा हूं।
जला कर सारे अरमान,
एक शोक लिए जी रहा हूं।

-​चन्द्रकांत

©RKant जी रहा हूं!
#Life 
#sad
#Suicide

जी रहा हूं! Life #SAD #Suicide #कविता

17 Love

e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

bharat quotes  स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं।

भूला चुके अस्तित्व अपना,
कौन है हम? ये याद नहीं।
ज़ंजीरें बदली है केवल, 
स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं। 

ज़ंजीरें कटी न हमसे, 
पांव अपने काट दिए। 
अपनी मां की संतानों को, 
जाति वर्ण में बांट दिए। 

रावण हर घर ज़िंदा है, 
देश में राम राज नहीं। 
ज़ंजीरें बदली है केवल, 
स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं। 

कालिख पूत गई दामन में, 
कहते हो एक भी दाग़ नहीं।
बुझा दिए चिंगारी तक को, 
सिने में अब वो आग नहीं। 

बेईमानों की सत्ता है, 
जुबां पे सच बात नहीं। 
थांगी ही बदली है केवल, 
स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं।

बैरी बनकर भाई भाई, 
खून की होली खेल रहे।
देश जला के नेता सारे, 
ख़ुद की रोटी सेंक रहे। 

बढ़ा है साहस दुस्सासन का, 
द्रौपदी की अब लाज नहीं।
शासन ही बदली है केवल,
स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं।

जनता का शासन जनता पर, 
फिर जनता क्यों आबाद नहीं। 
कारावास बदला है केवल, 
स्वतंत्र है! आज़ाद नहीं।

©RKant #Independence2022
#Independence
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

सिने में दिल को दफ़न कर दिया, 
किस्सा आशिक़ी का खतम कर दिया।

वो मुस्कुराती है मेरे जख्मों पर,
खून से लथपथ बदन कर दिया।

उन्हें अहसास न हुआ मोहब्बत का,
खुद पर हमने हर सितम कर लिया। 

मैं तो महज़ इक दोस्त हूं उसका,
किसी और को उसने सनम कर लिया।

©RKant #Dard_Bewajah 

#Moon
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

कब तक दिए जलाओगे? 

कब तक अश्क बहाओगे, 
कब तक दिए जलाओगे। 
पूछ रही हैं मातृभूमि, आखिर 
कब तक शोक मनाओगे। 

उजड़ रही मां की फुलवारी, 
तुम अब तक कैसे मौन हो। 
भीतर झांको अपने मन के, 
पहचानो खुद को कौन हो। 

घर के दिए बुझाएं जिसने, 
मिट्टी में उन्हें मिला देना।
मातृभूमि के चरणों में,
शत्रु का शीष चढ़ा देना। 
 
सौगंध तुम्हें उन वीरों की, 
धड़ पे उनके न शीष रहे। 
बारूद भर लो सिने में,
शत्रु एक भी न शेष रहे।

चाहे दिए ले लो हर घर से,  
जल्दी लेकिन रणभेरी हो। 
जवानों के प्रतिशोध में, 
अब एक पल की न देरी हो। 

रक्त बहाया जिसने वीरों का, 
वो अब तक कैसे जिंदा है। 
ऐ नपुंसक शासन तुझपे, 
आज हिंदुस्तां शर्मिंदा है।

©RKant #IndianArmy 
#Dard_Bewajah 
#rayofhope
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

प्रतिशोध मांग रहा हूं मैं।

दौड़े जो सबके नश-नश में,
वो जोश मांग रहा हूं मैं।
शहीद हुए जवानों का,
प्रतिशोध मांग रहा हूं मैं।

चूमे फांसी भगतसिंह सा,
वो जुनून मांग रहा हूं मैं।
बहाया लहू जिगर का जिसने,
उनका खून मांग रहा हूं मैं।

खौला दें ठंडे रक्त को भी,
वो रणगीत मांग रहा हूं मैं।
लाल किये है आंचल जिसने,
वो शठ शीष मांग रहा हूं मैं।

चलें बवंडर सा सिने में,
वो सांसें मांग रहा हूं मैं।
खूनी,आतंकी, गद्दारों का,
लाशें मांग रहा हूं मैं।

जो कर दें निर्मल मातृभूमि को,
वो महाभारत  मांग रहा हूं मैं।
धर्म युक्त,‌ अधर्म मुक्त, हो विश्व गुरु,
वो नवभारत मांग रहा हूं मैं।

अहिंसा में जकड़े वीरों का,
मूर्छित क्रोध मांग रहा हूं मैं।
मां के अस्रु पूरित नयनों का,
प्रतिशोध  मांग रहा हूं मैं।‌

©RKant #IndianArmy 
#Dard_Bewajah
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

घर का बैरी!

©RKant एक कविता जवानों के लिए।

*घर का बैरी!*

पल रहे है सांप भीतर,
आस्तीन उठाकर देखो तुम।
होगा न शहीद जवान एक भी,
तलवार उठाकर देखो तुम।

एक कविता जवानों के लिए। *घर का बैरी!* पल रहे है सांप भीतर, आस्तीन उठाकर देखो तुम। होगा न शहीद जवान एक भी, तलवार उठाकर देखो तुम। #IndianArmy #Dard_Bewajah

11 Love

e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

घर आया हूं बरसों बाद,
इस बार की होली में।
रंग पहले लगाऊंगा तुम्हें,
इस बार की होली में।

चुनरी रंग दूंगा तेरी,
मैं प्रेम की रोली में।
बंध जाना तुम संग मेरे,
प्रीत की डोरी में।

भर पिचकारी मारूं,
रंग मैं तेरी चोली में।
ले जाऊंगा इक दिन तुमको,
घर मैं अपने डोली में।

रंग कौन सा लगाऊं,
मैं तेरी सूरत भोली में।
गुलाबी, नीला, हरा, पीला
या कर दूं मांग सिन्दूरी मैं।

मां का फ़र्ज़ निभाया मैंने,
मौत आई थी गोली में।
नया जनम धर आया हूं,
इस बार की होली में।

©RKant #jawan 
#Dard_Bewajah 
#Holi
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

सांसे तलवार मेरी,
वक्ष मेरा ढाल है।
एक भुजा काल मेरा,
दूजा महाकाल हैं।

गिरते रहेंगे शव,
जब तक प्राण है।
कर दूंगा रणभूमि,
रक्त से लाल मैं।

आंखो में आग मेरे
रक्त में उबाल है।
शीष फेंकू अंबर
या गाड़ दूं पताल में।

कांपता है लोक तीनों,
जिसके नाम से।
कर रहा तिलक वो,
यम मेरे भाल में।

आरंभ हूं प्रचंड,
हूं मृत्यु अकाल मैं।
धर शिवशंकर सा,
रूप विकराल मैं।

लड़ जाऊं काल से,
अर्जुन का बाण मैं।
न हारुंगा बल से,
मैं योद्धा गर्भकाल से।

©RKant #अभिमन्यु_की_हुंकार
#Dard_Bewajah
e73e49964640fa38a7e6e9f9e3c84c76

RKant

याद है बापू तुम सबको,
उन वीरों को तुम भूल गए।
चूमकर फंदे को जो बेटे,
हंसकर फांसी झूल गए।

लाए आजादी अहिंसावादी,
तो वो मरने वाले कौन थे।
देश के बंटवारे पे बापू,
उस दिन तुम भी मौन थे।

गर स्वराज को वीरों ने,
खून से सिंचा न होता।
धरके लाठी चलने का,
बापू का साहस न होता।

आजादी के खातिर,
बेटों ने शीष चढ़ाई थी।
लड़ती रही रण चंडी सी,
वो रानी लक्ष्मीबाई थी।

एक शीष के बदले,
सौ-सौ शीष खड़े हो जाते थे।
मातृभूमि पे मरने को,
बालक भी अड़ जाते थे।

खौल रहा था खून सभी का,
सांसें भी गरमाई थी।
सुन दहाड़ वीरों का,
रानी भी घबराई थी।

बलिदान हो गए वीर सभी,
कितनों के नाम गिनाऊं मैं।
फिर भी तुमको कम लगता है।
जलियांवाला कांड सुनाऊं मैं।

आजादी के पथ पर हमने,
लाशों का अंबार लगाया है।
वो सत्य अहिंसा करते रहें,
हमने स्वराज रक्त से पाया है।

©RKant #Freedom_Fighter
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile