"ख़्वाब" में और "ख़याल" में तुम मेरे "जिस्म" और "जान" में तुम बजता "संगीत" तेरी "साँसो" का सुनकर "थिरकती' है "साँसे" मेरी "ख़्वाहिशे" मेरी सिर्फ़ तेरा हैं पता तू मिले तो "रौशन" यह मेरा जहां पहली और आख़िरी ख़्वाहिश तुम मेरे जीने के "चाहत" भी सिर्फ़ तुम ♥️ Challenge-569 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।