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न जाने क्यों आशिक जागते हैं सारी निशा भर,, जैसे प

न जाने क्यों आशिक 
जागते हैं
सारी निशा भर,,
जैसे परवाने कुर्बान हो
जाते हैं
शमा पर,,
पर मोहब्बत में एक ऐसा दिन
भी आता है,जब रोशनी
चांद की तीर बनके
लगती है
दिले जां पर

©Sandeep Pratap
  रोशनी

रोशनी #शायरी

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