इस घटा को मैं तो उसकी आँखों का काजल कहूँगा
इस हवा को मैं तो उसका लहराता आँचल कहूँगा
कलियों का बचपन है, फूलों की जवानी है मेरी महबूबा।
बीत जाते हैं दिन, कट जाती है आँखों में रातें
हम ना जाने क्या क्या करते रहते हैं आपस में बातें
मैं थोड़ा दीवाना, थोड़ी सी दीवानी है मेरी महबूबा
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