#OpenPoetry ज़िन्दगी के हर मोड़ पर, मैं एक ही शख्स को ढूंढ़ती हूं छोड़ हाथ हज़ारों के, मैं बस एक ही हाथ को पकड़ती हूं तेरे होने से मेरे चेहरे पर ये जो नूर है, यारा तेरी यारी नही, ये तो मेरा ग़ुरूर है करोड़ो के इस भीड़ मे, मैं बस तेरी ही तलाश करती हूं तू मिले तो खुश हो जाऊ, ना मिले तो हताश हो जाती हूं सीधे से नौटंकी बनाने मे, एक तेरा ही क़ुसूर है यारा तेरी यारी नही, ये तो मेरा ग़ुरूर है भुला बैठी जब खुद को ही, लगती थी दुनियादारी बोझा है उस वक़्त मेरा हाथ थाम कर एक तूने ही मुझे समझा है तेरे इतने एहसानों के बदले, तेरी हज़ारो गलतियां मुझे मंज़ूर है यारा तेरी यारी नही, ये तो मेरा ग़ुरूर है तेरे साथ ही रह कर झेला है मैंने, ज़िन्दगी की सौ परेशानियां वक़्त बेवक़्त जो गहरी हो ऐसी अपनी यारियां खुदा भी कहे, इसमें कुछ तो बात ज़रूर है यारा तेरी यारी नही, ये तो मेरा ग़ुरूर है....... #OpenPoetry #frndship यारा तेरी यारी नहीं ये तो मेरा ग़ुरूर है.....