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स्वतंत्रत भारत... जिस धरती पर जन्म लिया उस भारत मा

स्वतंत्रत भारत...
जिस धरती पर जन्म लिया उस भारत मां के लाल हैं हम,
लड़ पड़ेंगे, मर मिटेंगे दुश्मन की ललकार पर हम |
सीना चौड़ा होता है जब कोई भारतवासी कहता है,
गर्व है ऐसी धरती पर जहां जन्म रामलला का होता है।
भारत है परिवार हमारा कुटुंब इसे हम कहते हैं,
जात नहीं है एक मगर हर मुश्किल में साथ हम रहते हैं।
हर रोज शपथ यह लेते हैं भारत तुझे आजाद रखेंगे,
पूर्वजों के बलिदान को हम सदा आबाद रखेंगे।
भारत की मिट्टी का कण-कण नमन उन वीर जवानों को करता है,
प्राणों का दे बलिदान जिन्होंने इस धरा को लहू से अपने सीचा है।
भारत की सुगंधित मिट्टी को सर पर लगा कर चलते हैं,
काट देंगे सर दुश्मनों के हम ना किसी से डरते हैं ।
भारत की नारी शक्ति का प्रचंड रूप भी सब ने देखा है,
बन जाए जो दुर्गा काली जब आंख उठाकर किसी ने देखा है।
दुश्मनों को भाईचारे से भी समझा कर देखा है,
ना आए जो बाज अगर तो पैरों तले उन्हें रौंदा है।
तिरंगे की क्या बात करूं पावन इसकी छाया है,
लहराता रहे हैं उच्च शिखर पर इतनी सी अभिलाषा है।
मरा नहीं है वीर जवान वह जिसने प्राणों को अपने खोया है,
ओढ़कर आंचल भारत मां का कुछ पल के लिए वह सोया
है।

©Akansha Garg
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