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जीवन वक्त के अनुसार सिर्फ अपनी जरूरतों की पूर्ति च

जीवन वक्त के अनुसार सिर्फ
अपनी जरूरतों की पूर्ति चाहता है।
दिल अपने सजाये ख्बाबों को 
पूर्णता से प्राप्त करना चाहता है।
और आत्मा सदा
अपनी वास्तिवकता से परिचित होना चाहती है।
इस विवशता का अंत सिर्फ मृत्यु के पास है।
यही सत्य है, इसे सनझकर चलना ही सही है।✍ कमल भंसाली मृत्यु
जीवन वक्त के अनुसार सिर्फ
अपनी जरूरतों की पूर्ति चाहता है।
दिल अपने सजाये ख्बाबों को 
पूर्णता से प्राप्त करना चाहता है।
और आत्मा सदा
अपनी वास्तिवकता से परिचित होना चाहती है।
इस विवशता का अंत सिर्फ मृत्यु के पास है।
यही सत्य है, इसे सनझकर चलना ही सही है।✍ कमल भंसाली मृत्यु

मृत्यु