लफ़्ज़ों से ख़ता हो जाएगी ये कह न सकेंगे बात हमारी देखो आँखें क्या कहती है एक उम्र छिपाये बैठी हैं कभी चांदनी की तपिश कभी अमावस से मोहब्बत कभी शाम से नफ़रत कभी रात से दीवानगी क्या क्या बयां करेंगे ये लफ़्ज़ों से ख़ता हो जाएगी... ©pankaj mishra #बोलती_आंखें