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हाले तलाक को कैसे बयां करुँ,थी शौहर के सहारे अब कि

हाले तलाक को कैसे बयां करुँ,थी शौहर के सहारे अब किस कदर रहूँ?
आबरू को कैसे अब बेआबरू करुँ;किसी और कि दुल्हन बन कैसे मैं रहूँ!
हालाते जग हँसाई किस कदर बयां करुँ,बच्चों के साथ जीवन कैसे गुजर करुँ!
वक्त की मारी कैसे हाजिर जवाब दूँ,जालिम ज़माने से कैसे हाले दिल कहूँ!
अब्बा के अरमानों को वजाहत कैसे करूँ,खाला के गुनाहों पर पर्दा कैसे ढकूँ!
तालीम या दुवा या फ़तवा अब पढूँ,या खुदा तू ही बता किस कदर रहूँ!
आबरू भी तेरा बुर्का भी तेरा,अब जन्नत की ख्वाहिशें किस कदर करुँ!
हे मौला !तू जन्नत दे या दे फ़कीरी तुझसे ही अब मैं तो सजदा करुँ! तलाक!!
हाले तलाक को कैसे बयां करुँ,थी शौहर के सहारे अब किस कदर रहूँ?
आबरू को कैसे अब बेआबरू करुँ;किसी और कि दुल्हन बन कैसे मैं रहूँ!
हालाते जग हँसाई किस कदर बयां करुँ,बच्चों के साथ जीवन कैसे गुजर करुँ!
वक्त की मारी कैसे हाजिर जवाब दूँ,जालिम ज़माने से कैसे हाले दिल कहूँ!
अब्बा के अरमानों को वजाहत कैसे करूँ,खाला के गुनाहों पर पर्दा कैसे ढकूँ!
तालीम या दुवा या फ़तवा अब पढूँ,या खुदा तू ही बता किस कदर रहूँ!
आबरू भी तेरा बुर्का भी तेरा,अब जन्नत की ख्वाहिशें किस कदर करुँ!
हे मौला !तू जन्नत दे या दे फ़कीरी तुझसे ही अब मैं तो सजदा करुँ! तलाक!!