हम खुद को बड़े ही गर्व से "इंसान" कहते हैं पर असल में तो हम इंसान रहे ही नहीं हैं हमारे अंदर इंसानियत बिलकुल ख़त्म हो चुकी है बल्कि हम तो उन जानवरों से भी ज़्यादा बदतर हो चुके हैं जिन्हें हम जानवर कहते हैं.... और हमारे अंदर,घमंड,निर्दयता और स्वार्थ तो मानो ऐसे फुट फुट कर भर चूका है की उसके सामने ना तो कोई रिश्ता नज़र आता है और ना ही कोई सम्बन्ध और उसके उपरान्त भी हम खुद को बड़े गर्व से कहते हैं "इंसान" 😔
हमें सिर्फ खुद का ही दर्द दर्द लगता है किसी और का नहीं और आज जो ये त्रासदी पूरी दुनिया और देश में फ़ैल रही है इसका एक मात्र कारण समूची इंसान जाती के कर्म हैं जिनके कारण ये दिन आज हम देख रहे हैं और सबसे बड़ी बात,फिर भी हमीं अपनी उन गलतियों का ज़रा भी एहसास ही नहीं हैं और इस आपदा में भी बहुत से लोग अवसर तलाश कर किसी की मजबूरियों का फायदा उठा रहे हैं कोई वैक्सीन,ऑक्सीजन एवं अन्य खाद्य सामग्री इत्यादि की कालाबाज़ारी करके तो कोई एम्बुलेंस का किराया ज़रूरत से कई गुना ज़्यादा मांगकर बड़ा अफ़सोस होता है और सच अब तो खुद को इंसान कहते हुए भी भीतर मन में ग्लानि महसूस होती है.....
✍️Vibhor vashishtha vs
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