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वो दिल मेरा नादान था, वो रात बड़ी चालक थी। खड़े

वो दिल मेरा नादान था, 
वो रात बड़ी चालक थी। 
खड़े होकर उस मंज़र पर , 
मैंने देखी अपनी तबाही थी। 

रोकना चाहता था मै उसको, 
पर संभल पाई न वो बात थी। 
गलती न मेरी थी जनाब पर, 
देखनी पड़ी मुझे मेरी तबाही थी।

©Yashraj
  #MoonShayari #tabahi #nojota