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कहते है मजबुर है हम, लेकिन मोहब्बत मजबुर , नही होत

कहते है मजबुर है हम,
लेकिन मोहब्बत मजबुर ,
नही होती।
कुछ बाते जो हो,
आँखो से बयान।
उन्हें अल्फाज बन ,
जरुरी नही होती।
क्या बताओ गे खुद को तुम,
सबकुछ जानकर भी,
अंजान बने फिरते हो।
जो खुद से ज्यादा ,
करे किसी और से मोहब्बत।
वो मोहब्बत,
वो मोहब्बत कोई मामुली नही होती।
कहते है मजबुर है हम,
लेकिन मोहब्बत मजबुर ,
नही होती।
कहते है मजबुर है हम,
लेकिन मोहब्बत मजबुर ,
नही होती।
कुछ बाते जो हो,
आँखो से बयान।
उन्हें अल्फाज बन ,
जरुरी नही होती।
क्या बताओ गे खुद को तुम,
सबकुछ जानकर भी,
अंजान बने फिरते हो।
जो खुद से ज्यादा ,
करे किसी और से मोहब्बत।
वो मोहब्बत,
वो मोहब्बत कोई मामुली नही होती।
कहते है मजबुर है हम,
लेकिन मोहब्बत मजबुर ,
नही होती।