कहते है मजबुर है हम, लेकिन मोहब्बत मजबुर , नही होती। कुछ बाते जो हो, आँखो से बयान। उन्हें अल्फाज बन , जरुरी नही होती। क्या बताओ गे खुद को तुम, सबकुछ जानकर भी, अंजान बने फिरते हो। जो खुद से ज्यादा , करे किसी और से मोहब्बत। वो मोहब्बत, वो मोहब्बत कोई मामुली नही होती। कहते है मजबुर है हम, लेकिन मोहब्बत मजबुर , नही होती।