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फिर एक रोज़ यूँ समेट ले गए प्यार जैसे भरे जाड़े मे



फिर एक रोज़ यूँ समेट ले गए प्यार
जैसे भरे जाड़े में कोई ले जाये
खींच के ओढ़ा हुआ लिहाफ़ musings - 18/11/18


फिर एक रोज़ यूँ समेट ले गए प्यार
जैसे भरे जाड़े में कोई ले जाये
खींच के ओढ़ा हुआ लिहाफ़ musings - 18/11/18