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थोड़ा सिमट तो जाने दो चला जाऊँगा बिखरे टुकड़े तो उठा

थोड़ा सिमट तो जाने दो चला जाऊँगा
बिखरे टुकड़े तो उठाने दो चला जाऊँगा

अभी तो ज़ख्म भी हरे है भरे नहीं मेरे 
बस नासूर तक आने दो चला जाऊँगा

दिल की बात जो जुबाँ पे कभी आयी नहीं
वो दास्तान तो सुनाने दो चला जाऊँगा।

छेड़े थे जो तरन्नुम तुमने गले लगाकर मुझको
उसे बस साज तो बन जाने दो चला जाऊँगा

मुअय्यन मौत भी थी मगर आई नहीं अब तक
एक बार उसे गले तो लगाने दो चला जाऊँगा।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी
थोड़ा सिमट तो जाने दो चला जाऊँगा
बिखरे टुकड़े तो उठाने दो चला जाऊँगा

अभी तो ज़ख्म भी हरे है भरे नहीं मेरे 
बस नासूर तक आने दो चला जाऊँगा

दिल की बात जो जुबाँ पे कभी आयी नहीं
वो दास्तान तो सुनाने दो चला जाऊँगा।

छेड़े थे जो तरन्नुम तुमने गले लगाकर मुझको
उसे बस साज तो बन जाने दो चला जाऊँगा

मुअय्यन मौत भी थी मगर आई नहीं अब तक
एक बार उसे गले तो लगाने दो चला जाऊँगा।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी