वह भूल ये हो रही है क़ि हम दुख को अस्वीकार करके सुख को खोज लेना चाहते हैजबकि सुख दुख का ही दूसरा रूप है यानि हम जन्म खोज रहे हैँ और हम मरने से इंकार कर रहे हैँ या यूं कहें क़ि हम जवानी बरकरार रखना चाह रहे हैँ और बूढ़ा होने से आँख चुरा रहे हैँ सुखी और दुखी होना हमारी आकांक्षाओं क़े आरोपण से तय होता है ©Parasram Arora #सुख दुख....