कहां गए वो दिन जब में मेरे खिड़की के पास तुम्हे देखने और तुम तुम्हारे खिड़की के पास मुझे देखने आ जाए करते थे.... अब वो घर भी हैं खिड़कियां भी सलामत हैं पर अब हमारे बीच वो महोबत नहीं रही हैं... खिडकी