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कविता- उफ्फ ये तुम और तुम्हारी याद। यूँ तो जब भी

 कविता- उफ्फ ये तुम और तुम्हारी याद।

यूँ तो जब भी आया करती है,
तुम्हारी याद अक्सर,
शाम ही में आया करती है।
आज ना जाने इसे क्या हुआ है,
जो सबेरे सबेरे ही आ गयी,
तुम्हारी याद भी अब,
 कविता- उफ्फ ये तुम और तुम्हारी याद।

यूँ तो जब भी आया करती है,
तुम्हारी याद अक्सर,
शाम ही में आया करती है।
आज ना जाने इसे क्या हुआ है,
जो सबेरे सबेरे ही आ गयी,
तुम्हारी याद भी अब,
vikasrawal1872

Vikas Rawal

New Creator