एक वक्त वो भी था जब बिना किसी उम्मीद के बिना किसी रिश्ते के खुले आसमां के नीचे बैठ में तुम्हारे सपने देखा करती थी तन्हा दिल को जब कहीं भी सुकून ना मिलता बेचैनी मे दरबदर भटकता रहता तब अपने ही सपनो की दुनिया मे खो जाया करती थी एक वक्त वो भी था जब देर रात तक खुले आसमां के नीचे बैठ टिमटिमाते तारो को टूटता हुआ देख दुआ में तुम्हे मांगा करती थी समुंदर के किनारे बैठ मैं खुद में खो जाता करती थी सिर्फ इसलिए नही की मैं तुम्हे सिर्फ प्यार करती हूं बल्कि इसलिए की कोई है जिसमे मैं खुद का ही अक्स देखा करती थी एक वक़्त वो भी था जब तुम्हारे बारे में खुद से ही बाते किया करती थी पन्नो पर लिखने बैठती कविता पर जाने कब उस कलम से तेरी तस्वीर बन जाया करती थी जब दुनिया जहां के ताने बाने सुन उदास होकर रोते हुए तरसती आंखों से दरवाज़े की ओर नज़रे कर तुम्हारे आने का इंतज़ार किया करती थी हाँ एक वक्त वो भी था जब तुम मुझे दुख के बेड़ियों से निकाल कर निकलते आँसुओ को पोछ कर वहाँ से ले आये जहां से मेरी अर्थी ही निकलती। आज तुम दुनिया के लिये चाहे जैसे भी हो मगर मेरे लिए तुम खुदा की भेजी हुई वो सौगात होओ जिसकीमैं आज पूजा किया करती हूं कल तक जिसे मैं सपनो में देखा करती थी #nojotohindi #nojotopoem #writers #सच्चाई #सौगात #कविता #दिलकीबात #खुशी #sushmathakur #nojotolines