“विरह वेदना” छोड़ चले बालम मुझको क्यों विरह की वेदना में “आंँसुओं में बूड़–बूड़ सांँसों में उड़–उड़कर” अब मैं तेरे बिन कैसे जीऊंँ रे अनुशीर्षक में👇👇👇 अब तो बता तो मेरे सजन क्या मुझसे इतनी ही थी लगन जीवन के बीच मझधार में छोड़ क्यों चल दिए सजन अब मैं तेरे बिन कैसे जीऊंँ रे बनाया था हमने प्यार का आशियाँ तोड़ सारे नाते, हमारा दिल और जहां