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अंततः जिंदगी की रेल वक़्त क़े खामोश प्लेटफार्

अंततः 
जिंदगी  की   रेल 
वक़्त क़े  खामोश 
प्लेटफार्म  पर से  गुजरते  गुजरते 
एक  दिन   तो मुक़्क़मल   मंजिल  पर जा
पहुंची 
जहाँ   लिखा था 
"आगे  अब  और  कोई  स्टेशन  नहीं.... सिर्फ 

अँधेरी  गहरी  खाई  हैँ..... यही  उतरो  
अंतिम   छलांग  लगाकर 
जिन्दगी को  अलविदा  कह  डालो.. " आखरी   स्टेशन.......
अंततः 
जिंदगी  की   रेल 
वक़्त क़े  खामोश 
प्लेटफार्म  पर से  गुजरते  गुजरते 
एक  दिन   तो मुक़्क़मल   मंजिल  पर जा
पहुंची 
जहाँ   लिखा था 
"आगे  अब  और  कोई  स्टेशन  नहीं.... सिर्फ 

अँधेरी  गहरी  खाई  हैँ..... यही  उतरो  
अंतिम   छलांग  लगाकर 
जिन्दगी को  अलविदा  कह  डालो.. " आखरी   स्टेशन.......

आखरी स्टेशन.......