जब अंधकार चरम पर था, हक़ीक़त कोहरे में छिप गई थी, ज्ञान की नदी सूख गई थी, सारे रास्ते बंद हो गए थे, आत्मविश्वास विद्रोह पर उतर आया था, हार का हार मेरी गर्दन ढूंढ रहा था, नाकामियां कहानी सुनाने को तड़प रही थी, काबिलियत का दम घुट रहा था, जीत का चेहरा तेज़ाब मल रहा था, तब सूर्य के प्रकाश के समान, मेरी जिंदगी की पगडंडी पर, एक देवामानुश आ रहा था, पीर, गुरु, ब्रह्म या उस्ताद, जो चाहे वो कह लो, पर असलियत में तो जीवन का, इकमात्र आधार आ रहा था। Shivank Srivastava'Shyamal' #Teacher #teachers #guru #teachersday2020