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घुला दिमाग़ मे ज़हर किसी के मर्ज बड़ा गंभीर सा है

घुला दिमाग़ मे ज़हर किसी के
मर्ज बड़ा गंभीर सा है 
 पास मे रहके जलता बुझता
नाश मेरे के इंतजार मे
बिन कैद के ही जंजीर मे घूमे
उपकार मेरा हर भुला जाए
द्वेष भावना भर के मन मे
बर्बाद मुझे बस करना चाहे
जहर भरा वो धर्म निभाए
हमने छोड़ा ईश्वर पर अब
बात यही वो भूलता जाए
तर्क बड़ा सीधा सा है
मर्ज बड़ा गंभीर सा है
नाश मेरे के इंतजार मे
जहर भरा वो धर्म निभाए।

©Shubham joshi #जहर_भरा_आदमी
घुला दिमाग़ मे ज़हर किसी के
मर्ज बड़ा गंभीर सा है 
 पास मे रहके जलता बुझता
नाश मेरे के इंतजार मे
बिन कैद के ही जंजीर मे घूमे
उपकार मेरा हर भुला जाए
द्वेष भावना भर के मन मे
बर्बाद मुझे बस करना चाहे
जहर भरा वो धर्म निभाए
हमने छोड़ा ईश्वर पर अब
बात यही वो भूलता जाए
तर्क बड़ा सीधा सा है
मर्ज बड़ा गंभीर सा है
नाश मेरे के इंतजार मे
जहर भरा वो धर्म निभाए।

©Shubham joshi #जहर_भरा_आदमी