Read in caption👇 ©chandni मुद्दते बीत गई आँखों के सिलवटें खर्च किए तुम हर बार रहनुमा जैसे नजर आए धरती की कतआत बेशुमार हिजाब ओढ़े हुए मेरे ज़ख्मों को कुरेदते खोखले से जान पड़ रही थी मानो मैखाने मे अब भी बज्म का दरकार लगा