पापा जब हाथ पकड़ कहीं ले जाते थे, तब मन चिंता
त्याग कर कुछ नया और अच्छा होने के उम्मीद
कर बैठता था।
उनके हाथ पकड़कर चलना अभी भी याद है,
जैसे वो एहसास मेरी हथेलियों में आज भी है।
एक दिन उनके हाथों के सख्त होने के बारे में पूछा था, #FathersDay#a_journey_of_thoughts#ajot_life