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यादे इबादतें-इश्क-की परछाई भी अजीब है नाज़िम, किसी

यादे
इबादतें-इश्क-की परछाई भी अजीब है नाज़िम,
किसी को मोहब्बत तो किसी को गम नसीब है।
खाते तो सभी हैं कसमे निभाने की,
कोई निभा जाता है कोई मुकर जाता है ।
मुकरे-बेबफाई गर हासिल हुई किसी को,
कोई रो जाता है कोई संभाल जाता है,
संभाले गर तो कामयाबी नसीब होती है।
वरना न-कामयाबी में रुसवाई होती है,
रुसवाई में ज़िन्दगी फिर तमाम होती है।
तमाम-ए-ज़िन्दगी अश्को के नाम होती है,
और अश्को से इश्क-ए-परछाई याद आती है ।
और जब इश्क-ए-परछाई याद आती है,
तब हर घडी नाज़िम तोड़ जाती है ।। #याद 
#रुसवाई
#टूटना
#नाकामी
#khnazim
यादे
इबादतें-इश्क-की परछाई भी अजीब है नाज़िम,
किसी को मोहब्बत तो किसी को गम नसीब है।
खाते तो सभी हैं कसमे निभाने की,
कोई निभा जाता है कोई मुकर जाता है ।
मुकरे-बेबफाई गर हासिल हुई किसी को,
कोई रो जाता है कोई संभाल जाता है,
संभाले गर तो कामयाबी नसीब होती है।
वरना न-कामयाबी में रुसवाई होती है,
रुसवाई में ज़िन्दगी फिर तमाम होती है।
तमाम-ए-ज़िन्दगी अश्को के नाम होती है,
और अश्को से इश्क-ए-परछाई याद आती है ।
और जब इश्क-ए-परछाई याद आती है,
तब हर घडी नाज़िम तोड़ जाती है ।। #याद 
#रुसवाई
#टूटना
#नाकामी
#khnazim