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Best रुसवाई Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]

#"मोहब्बत और #रुसवाई" #dodil #Motivational shayari shayari #SAD shayari in hindi

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["मोहब्बत और रुसवाई"]
"ग़ालिब, क्यों एक ही सवाल उठता है बार-बार मेरे ज़हन में?
ग़ालिब, आखिर कौन चाहता है मोहब्बत में बार-बार रुसवा होना?"

©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]  #"मोहब्बत और #रुसवाई" #dodil  #motivational shayari shayari #sad shayari in hindi

Santosh 'Raman' Pathak

White दिल की गहराई से वफ़ा करना

बाक़ी रुसवाइयों का क्या करना

©Santosh 'Raman' Pathak #वफ़ा
#रुसवाई

SamEeR “Sam" KhAn

बैठ जाता हूँ अक्सर रातों को नींद से उठकर 
मुझको अंदर से मेरी लापरवाही खलती है

कभी यादें तेरी मुझको जिंदगी से दूर ले जाती हैं 
पर क्या! मुझे तो पूरी कायनात में तन्हाई मिलती है 
मैं तो सूखे तिनकों सा दुनिया से अलग था
 तूने जो फूंकी थी चिंगारी वो आग आज भी जलती है 
सुना है एक दिन सब कुछ शांत हो जाता है 
इंसान की कीमत तो मरने के बाद ही पता चलती है

मेरी नींदो में ख्वाब नही आते आते अब 
मेरी साँसों को तेरी रुसवाई खलती है 
क्या करूँ जीना छोड़ दूं मैं लेकिन कैसे 
इस जिन्दगी के साथ तेरी यादें जो पलती हैं 
डर है कि मरकर तुझे भूल ना जाऊं 
ये जिंदगी भी लेकिन सबको कहाँ मिलती है..!!

©SamEeR “Sam" KhAn #रुसवाई

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,

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*** ग़ज़ल *** 
*** करें तो क्या करें ***

" दिल गवारा ना करें तो क्या करें ,
तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते  में ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें ,
मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,
तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें ,
मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा ,
तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा ,
रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " 

                         --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** करें तो क्या करें ***

" दिल गवारा ना करें तो क्या करें ,
तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें ,
उल्फते-ए-हयाते  में ज़िक्र तेरा आज भी हैं ,
अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें ,
मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं ,

Rabindra Kumar Ram

*** ग़ज़ल *** *** इक तुम्हीं ही नहीं *** " तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे , मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे , वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में , कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे , दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,

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*** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,
यूं होने को बात बेफजूल भी नहीं ,
ये मलाल फिर कुछ यूं ही ही नहीं ,
तरीका हम जो भी इख्तियार करें जीने ,
इस मुतअस्सिर का इक सबब तुम ही नहीं ,
खाली फलक का चांद जऱा तुम ही नही ,
जिसे देखते हुए मैं जिता हूं वो फ़ऱाज तुम्हीं ही नहीं ,
आईने की दस्तूर तो समझूं मैं ,
तुम्हें देखने का बहाना इक सौ दफा तुम्हीं ही नहीं . "

                           --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** 
*** इक तुम्हीं ही नहीं *** 

" तुमसे फासले कुछ यूं ही रहेंगे ,
मुहब्बत के वसूल कुछ यूं ही रहेंगे ,
वेशक तुम ना मिलना कभी ऐसे में ,
कहीं तुझे देख के आह भरना कबूल करेंगे ,
दर्दे-ए-सितम रुसवाई हैं बात पे तन्हाई हैं ,

#Rahul

नजदीकियां, बढ़ाने पर मजबुर कर रही है ,मुझे रुसवाई तेरी ,
देखो ये emotional blackmail इतना भी ठीक नहीं ।।

©#Rahul 
#नजदीकियां #रुसवाई 
#Emotional

Sneh Lata Pandey 'sneh'

#रुसवाई की आफत

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Rabindra Kumar Ram

" तुझे चाहनें और चाहते रहने का सलीका कुछ और आये मुझे , ये इश्क मुहब्बत के रंग का किरदार कोई सलीके से सिखायें मुझे , कोई कसमेकश की कोई उधेड़बुन में हूं अभी इस तरह , मुहब्बत की मंजिल कहीं रुसवाई में ना गुज़रे कहीं इस तरह‌ . " --- रवीन्द्र राम #सलीका #मुहब्बत #मंजिल #रुसवाई #गुज़रे

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" तुझे चाहनें और चाहते रहने का सलीका कुछ और आये मुझे ,
ये इश्क मुहब्बत के रंग का किरदार कोई सलीके से सिखायें मुझे ,
कोई कसमेकश की कोई उधेड़बुन में हूं अभी इस तरह ,
मुहब्बत की मंजिल कहीं रुसवाई में ना गुज़रे कहीं इस तरह‌ . "
                     --- रवीन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " तुझे चाहनें और चाहते रहने का सलीका कुछ और आये मुझे ,
ये इश्क मुहब्बत के रंग का किरदार कोई सलीके से सिखायें मुझे ,
कोई कसमेकश की कोई उधेड़बुन में हूं अभी इस तरह ,
मुहब्बत की मंजिल कहीं रुसवाई में ना गुज़रे कहीं इस तरह‌ . "
                     --- रवीन्द्र राम 

 #सलीका #मुहब्बत #मंजिल #रुसवाई #गुज़रे

Rabindra Kumar Ram

" मुशलशल एहसास तेरा बस ख्याल भर हैं , बस ये बात आप पे डहरी इसे मुहब्बत का कौन सा जाम दोगे , लबों पे मुहब्बत बन के रहोगे ना फिर , या फिर इसे रुसवाई का कोई नाम दोगे . " --- रबिन्द्र राम #मुशलशल #एहसास #ख्याल #जाम

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" मुशलशल एहसास तेरा बस ख्याल भर हैं ,
बस ये बात आप पे डहरी इसे मुहब्बत का कौन सा जाम दोगे , 
लबों पे मुहब्बत बन के रहोगे ना फिर ,
या फिर इसे रुसवाई का कोई नाम दोगे . " 

                        --- रबिन्द्र राम " मुशलशल एहसास तेरा बस ख्याल भर हैं ,
बस ये बात आप पे डहरी इसे मुहब्बत का कौन सा जाम दोगे , 
लबों पे मुहब्बत बन के रहोगे ना फिर ,
या फिर इसे रुसवाई का कोई नाम दोगे . " 

                        --- रबिन्द्र राम 

#मुशलशल #एहसास #ख्याल #जाम

Rabindra Kumar Ram

" क्या सोच के रुसवाई निभाई मैंने , उस से खफा हो के उसकी तस्वीर गले लगाई मैंने , हसरतें ख्याल अब क्या-क्या करु मैं , चोट खा के भी बफा निभाई हैं मैंने . " --- रबिन्द्र राम #रुसवाई #खफा #तस्वीर #हसरतें #ख्याल

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" क्या सोच के रुसवाई निभाई मैंने ,
उस से खफा हो के उसकी तस्वीर गले लगाई मैंने ,
हसरतें ख्याल अब क्या-क्या करु मैं ,
चोट खा के भी बफा निभाई हैं मैंने . "

                             --- रबिन्द्र राम " क्या सोच के रुसवाई निभाई मैंने ,
उस से खफा हो के उसकी तस्वीर गले लगाई मैंने ,
हसरतें ख्याल अब क्या-क्या करु मैं ,
चोट खा के भी बफा निभाई हैं मैंने . "

                             --- रबिन्द्र राम 
 #रुसवाई #खफा #तस्वीर
#हसरतें #ख्याल
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