हर बार ख्वाबों में छूट ही जाती है ट्रेन भी मेरी । में भटकता ही रहता हूं अंधेरी गलियों में क्यों । मुझे याद ही नहीं रहता कि आंखिर जाना किधर है। ना जाने ऐसे ही ख्वाब आज कल मुझे आते हैं क्यो । ©Vickram ऐसा होता है क्यो,,,,