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हर बार ख्वाबों में छूट ही जाती है ट्रेन भी मेरी ।

हर बार ख्वाबों में छूट ही जाती है ट्रेन 
भी मेरी ।
में भटकता ही रहता हूं अंधेरी गलियों में 
क्यों ।
मुझे याद ही नहीं रहता कि आंखिर जाना
 किधर है।
ना जाने ऐसे ही ख्वाब आज कल मुझे आते
 हैं क्यो ।

©Vickram ऐसा होता है क्यो,,,,
हर बार ख्वाबों में छूट ही जाती है ट्रेन 
भी मेरी ।
में भटकता ही रहता हूं अंधेरी गलियों में 
क्यों ।
मुझे याद ही नहीं रहता कि आंखिर जाना
 किधर है।
ना जाने ऐसे ही ख्वाब आज कल मुझे आते
 हैं क्यो ।

©Vickram ऐसा होता है क्यो,,,,
vickram4195

Vickram

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