एक गीत पुराना याद आया, बहुत अर्से बाद आया, वही जो तुमने झिझक के साथ, हौले से था सुनाया, उस बरसात के मौसम में आवाज़ मद्धम नहीं हो पायी थी, काली घटा समेट के मानो शब्दों को था यूँ लहराया, ना कोई साज़ था साथ देने को, ना ही लगा ज़रूरत थी, आवाज़ थी इतनी कशिश भरी, मैं खुद ही था कुछ भरमाया, कल रात अचानक रेडियो पर, जब गीत वही जब बज उठा, हर एक पल मानो फिर जी गया, वक़्त भी था सन्नाया, गीत तुम्हारे नैनो की तारीफ करते ना थकता था, कितने अलंकार जोड़ दिए, मैं आज तक ना गिन पाया, कुछ पल, कुछ लम्हे यूँ होते हैं, भुलाए नहीं भुला सकते, बस तसल्ली देता हूँ खुद को कि, बहुत गेहरा था दफनाया #kavita #geet #yaad #nayan #hindi #originalpoetry #poetryisnotdead #heartbeat