ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है जैसे माला का मोती फिर से पिरोया है गुजरे हुए लम्हों को मैंने समेटकर खुद को मैंने अश्क़ों के समुंदर मे डुबोया है ©Bhupendra Rawat #samay ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है जैसे माला का मोती फिर से पिरोया है गुजरे हुए लम्हों को मैंने समेटकर खुद को मैंने अश्क़ों के समुंदर मे डुबोया है