#दरिया हूँ सफर मेरा, भटकाव भरा है,टकराव भरा है, जाना है कही मुझको, ना मंजिल का पता है। एक दिन तो #समंदर भी, टकराएगा मुझे आकर, मदमस्त मुसाफिर हूँ, राहों से मोहब्बत है। #ख्वाबों में भी ना देखी, मंजिल की कोई परछाई, बहना मेरे बस में था, बहता ही जा रहा हूँ। ©The Urban Rishi #दरिया हूँ सफर मेरा, भटकाव भरा है,टकराव भरा है, जाना है कही मुझको, ना मंजिल का पता है। एक दिन तो #समंदर भी, टकराएगा मुझे आकर, मदमस्त मुसाफिर हूँ, राहों से मोहब्बत है।