मन कहता है मन कहता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं उड़ जाऊं सारी दुनिया में, प्रेम प्रीत फैला आऊं तोड़ दूं नफरत की दीवारें, हिंसा द्वेष मिटाऊं धर्म नस्ल और जातिभेद,सारे भेद हटाऊं मन कहता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं #5line poetryसुरेश कुमार चतुर्वेदी ©Suresh Kumar Chaturvedi 5line poetry