भले ही कमल ना लाखों खिले, मात्र एक कमल हो पर्याप्त

भले ही कमल ना लाखों खिले,
मात्र एक कमल हो पर्याप्त उन्मुक्त,
परम प्रेमी सा बुद्ध बावरे मन में।

जीवन में केवल मन मिले,
आकर्षण के दलदली रूप से मुक्त,
पवित्र शुद्ध भावनाओं के जल में।

©अदनासा-
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